रेल यात्रा

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अब तक हम चलते थे टेढ़ी मेढ़ी सड़कों पर
बस का पहिया भी बेबस था बड़े बेकार गड्ढों पर
किन्तु अब तो ज़माना ही बदलेगा सफ़र का यारो
रेल(यात्रा को हँसते(हँसते सुखपूर्वक तुम गुज़ारो

हवा से बात करने को इच्छुक लौह-पथगामी
दिल्ली से मिलन मधुरं नेपाल की राजधानी
चाय की चुस्कियां लेते कहीं पूड़ी कहीं चोखा
बर्थ पर लोट लगाने का नहीं छोड़ेंगे कोई मौका

होगा आरम्भ दो देशों के बीच शुभ नए युग का
प्रसन्न मन यात्री होंगे छोड़ फैनी छैना गुटखा
घटेगी बोर करने वाली सफर की कोसों लम्बाई
घंटों का काम मिनटों में बड़ा आसान सुखदायी

डिब्बे दौड़ेंगे एक रेखा इंजन के पीछे पीछे
पटरी पर आएंगे जाएंगे आराम से अँखियाँ मीचे
होगा चढ़ना और उतरना किन्तु किंचित नहीं झटका
न कोई खाई खंदक है न कोई रात का खटका

मोदी जी ने ओली जी ने हमारे दिल को जीता है
एक देश के हैं राजा राम दूजे की रानी सीता है
मायके से जब दुल्हन सज के ससुराल जायेगी
रेल में चैन से बैठी मिलन के गीत गाएगी

महेश चंद्र शर्मा